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हाईकोर्ट के फ़ैसले को जूते की नोक पर रख मथुरा जेल ने डॉक्टर कफ़ील को रिहा करने से किया इनकार,डीएम ने भी….

Uttar Pradesh- पिछले कई महीनों से जे’ल की स’लाख़ों के पीछे डाल दिए गए डॉक्टर कफ़ील खान को लम्बे समय तक जे’ल में बं’द रखने के लिए उनपर एक या दो बार नही बल्कि तीन तीन बार रासुका लगाया गया।प्रदेश सरकार इस तरह तीन बार रासुका लगा कर डॉक्टर कफ़ील खान को लम्बे समय तक जे’ल में बं’द रखने में सफल भी हुई।लगातार उठ रही डॉक्टर कफ़ील की रिहाई की माँग आए दिन बढ़ती ही जा रही थी।

कई बार ब’हस और जिरह के बाद हर बार नई तारीख़ दे दी जाती थी लेकिन 1 सितम्बर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ये फ़ैसला दिया कि डॉक्टर कफ़ील को ग़ैर क़ानूनी तरह से रासुका के तहत जे’ल में रखा गया है अथवा उन्हें फ़ौरन रिहा किया जाए।अब हाईकोर्ट के फ़ैसले के बाद बेहद चौं’का देने वाली ख़बर सामने आ रही है की हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी मथुरा जे’ल के अधिकारी डॉक्टर कफ़ील को रिहा करने से साफ़ इन’कार कर रहे हैं।बताया जा रहा है की अधिकारी कह रहे हैं की डॉक्टर कफ़ील को रिहा करने के लिए अलीगढ़ डीएम से आदेश लाने की बात कर रहे हैं।वहीं जब डॉक्टर कफ़ील खान का पक्ष अलीगढ़ डीएम से संपर्क कर रहा है तो ये बात सामने आरही है की अलीगढ़ डीएम भी आनाकानी कर रहे हैं और कोर्ट का ऑर्डर रिसिव नही कर रहे हैं।

अब सवाल ये पैदा होता है की जब हाईकोर्ट के आदेश को ऑफ़िसर जू’ते की नो’क पर रख रहे हैं तो आख़िर ये देश चलेगा कैसे जब संविधान को उसके रक्षक ही रौं’द दे रहे हैं।ये बहुत ही गं’भीर सवा’ल है की पूरा देश जिस कोर्ट पर आँखें मूँद कर भरोसा करता है आख़िर वो कौन लोग हैं जिनके इशारे पर संविधान और संविधान के मं’दिर तक के फ़ैसले को डं’के की चो’ट पर जू’तों की नो’क पर रख दिया गया है।एक नज़र में कहें तो ये मामला सिर्फ़ अब डॉक्टर कफ़ील खान की रिहाई का नही बल्कि देश के संविधान की इज़्ज़त का मामला बन गया है।डॉक्टर कफ़ील खान की रिहाई रोकने के बहाने कहीं संविधान को मिटाने की किसी बड़ी साज़िश की तरफ़ इशारा तो नही कर रही है।ऐसे कई सवाल हैं जो किसी भी ज़िम्मेदार और देशभक्त नागरिक को बे’चैन कर देने वाला है।

(News Creddit- Social Express)
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