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भारत, अमेरिका के सुरक्षा रक्षक में कितना अंतर?

दुनिया का सबसे ताकतवर इंसान अमेरीकी राष्ट्रपति जो बिडेन की सुरक्षा व्यवस्था का मुख्य सुरक्षा अधिकारी डेविड चो हैं. कोरियाई मूल के डेविड चो SSA की कठिन परीक्षा पास कर सुरक्षागार्ड बने. SSA एजेंसी ही राष्ट्रपति और उनके परिवार की सुरक्षा का दायित्व निभाती है.

कोरियाई मूल के अमेरिकी डेविड चो का वर्तमान राष्ट्रपति के सुरक्षा का हेड होना बहुत बड़ी बात है. यह अमेरिका के विविधता नीति को दर्शाती है और येही विविधता अमेरिका को एक महान और शक्तिशाली राष्ट्र बनाती है.

अमेरिका ने अपने सीटिंग राष्ट्रपति की सुरक्षा का पूरा दायित्व एक कोरियाई अमेरिकी मूल के सुरक्षाकर्मी के हवाले कर दिया है. लेकिन भारत में आज भी भारत के राष्ट्रपति का अंगरक्षक केवल तीन जाति के लोगों को बनाया जाता है.

राष्ट्रपति का अंगरक्षक बनने के लिए तीन जातियों की बंदिश खत्म होनी चाहिए. यह ब्रिटिश साम्राज्यवाद के शुरुआती दौर से चलती आ रही प्रथा और कानून है.

1773 में वारेन हैंटिंग्स भारत के वायसराय जनरल बनाए गए. उनकी सुरक्षा में 50 भारतीय सुरक्षाकर्मियों को रखा गया जो जाट, राजपूत और जाट सिख जाति से थे. तब से आज तक इन्ही तीन जातियों से अंगरक्षक बनाए जाते आ रहे हैं. 

अहीर, कुर्मी, मीणा, चमार, पासी, डोम, केवट, मल्लाह, वाल्मीकि, मुसाहर और पसमांदा मुस्लिम समेत सभी जातियों को भारत के राष्ट्रपति का अंगरक्षक बनने का मौका मिलना चाहिए.

भारत में हर जगह पर कुछ मुट्ठी भर जातियों का वर्चस्व है. यह वर्चस्व टूटना चाहिए. काम के स्थान पर विविधता ही जाति नस्ल के वर्चस्व को तोड़ सकती है. इसी कारण भारत के शासक जातियों को विविधता का नाम सुनकर ही बुखार आ जाता है.

✍️✍️Kranti Kumar 
✍🏻✍🏻Kranti Kumar
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