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बिहार राजनीति और पुलिस में जाति का खेल देखिए...

सनातन धर्म संस्था गुप्तेश्वर पांडे को द्विज श्रेष्ठ जाति का मानता है. सुनील कुमार को नीच.. शूद्र.. राक्षस.. चंडाल.. जाति का मानता है !

गुप्तेश्वर पांडे और सुनील कुमार दोनो 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. सुनील कुमार ने जनरल कैटेगरी से परीक्षा पास की, इसलिए की आरक्षण सीट से कोई और प्रतियोगी सफल हो. दोनों ने एक साथ अपना कैरियर शुरू किया !

बिहार राजनीति और पुलिस में जाति का खेल देखिए... 2019 में ब्राह्मण एस. त्रिवेदी डीजीपी पद से रिटायर्ड होते हैं. अगला डीजीपी के लिए ब्राह्मण आरके. मिश्रा का नाम आगे आता है. लेकिन शूद्र नीतीश कुमार को भूमिहार ब्राह्मण गुप्तेश्वर पांडे पसंद आते हैं !

गुप्तेश्वर पांडे को बिहार डीजीपी का पद मिलता है. सुनील कुमार को डीजीपी होम गार्ड में एडजस्ट कर कर दिया गया. रिटायर्ड होने के बाद सुनील कुमार ने जेडीयू पार्टी जॉइन कर ली. मीडिया ने कभी सुनील कुमार को प्रोजेक्ट नही किया जैसे कुछ महीनों से गुप्तेश्वर पांडे को प्रसिद्ध किया गया !

कल गुप्तेश्वर पांडे ने वीआरएस ले लिया. उनका इरादा राजनीति में आने का है. ब्राह्मण मीडिया, ब्राह्मण पत्रकार लॉबी उन्हें भूमिहार चेहरा के रूप में प्रोजेक्ट कर रही है !

बिहार में भूमिहार ब्राह्मण केवल 4.7% हैं. बिहार क्या देश में हर दूसरा व्यक्ति ओबीसी है और हर तीसरा व्यक्ति एससी है. लेकिन लालू प्रसाद यादव जी को राजनीति से हटाने के बाद बिहार में एक के बाद एक भूमिहार चेहरों को नेता के रूप में स्थापित किया जा रहा है !

कन्हैया कुमार के बाद अब बारी गुप्तेश्वर पांडे की है !

ओबीसी एससी जो मिलकर 85% वोट हैं, इन्ही वोटों से भूमिहार ब्राह्मण का शासन बिहार में वापस आएगा. क्यों कि ओबीसी एससी एसटी Inferiority Complex हीन भावना से ग्रस्त हैं. उन्हें अपने ही लोगों को चुनने को शर्म महसूस होती है !

#KRANTI_KUMAR_WASHERMAN
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