किसान नही उद्योगपतियों के हितों में कृषि अध्यादेश पास किया गया. इस बिल को किसान अध्यादेश नही, पूंजीपति कृषि लूट अध्यादेश कहना चाहिए !
किसान के नाम पर उद्योग जगत के हितों में कौन बनाता है अध्यादेश.. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कॉरपोरेट में काम करने वाले ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य जाति के सीईओ मैनेजर्स को लेटरल एंट्री के द्वारा ब्यूरोक्रेसी में बड़े पदों पर बिठाया !
यही कॉरपोरेट अफसर सरकारी अफसर बनकर सारे नियम कायदे उद्योग जगत के हितों में बना रहे हैं. नोटेबन्दी.. जीएसटी.. उद्योगपतियों का कर्ज माफ करना.. कोरोना महामारी संकटकाल में आम आदमी को सीधे कैश देकर मदद ना करना.. यह सारे फ़ैसले उद्योगपति करते हैं, सरकार तो मुखौटा है !
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस किसान बिल को मिल का पत्थर बता रहे है. यह सिस्टम अमेरिका और यूरोप असफल हो चुका है. किसान कृषि फ्री मार्किट सिस्टम के कारण अमेरिका यूरोप के किसान खुदकुशी कर रहे हैं !
नए बिल में किसान अपनी उपज मंडी में नही अब सीधे मंडी के बाहर उद्योगपतियों को बेच सकते हैं. बिल में बहुत कुछ है जो किसानों को नही कॉरपोरेट घरानों लाभ पहुंचाता है. कॉन्ट्रैक्ट कृषि जैसे प्रावधान किसानों को कॉरपोरेट कंपनियों का गुलाम बना देंगे !
1996 में अमेरिकी कांग्रेस(पार्लियामेंट) ने कृषि नियमों में भारी बदलाव किया. किसान और कृषि सेक्टर को पूरी तरह फ्री मार्किट के हवाले कर दिया. कृषि में मिलने वाली सब्सिडी खत्म कर दी. फसलों के लिए इन्शुरन्स स्कीम लागू की. कॉरपोरेट कंपनियां सीधे किसानों से उनकी उपज खरीदने लगे !
लेकिन इस सिस्टम से फायदा केवल कॉरपोरेट जगत को हुआ. 2013 आते आते अमेरिका में किसानों की आय में 50% की भारी गिरावट दर्ज की गई !
अमेरिका यूरोप में आम आबादी से डेढ़ गुना ज्यादा किसान आत्महत्या कर रहे हैं.
ऑस्ट्रेलिया में चार दिन में एक किसान कर्ज के कारण आत्महत्या करते हैं.
ब्रिटैन और फ्रांस में हफ्ते में एक किसान आत्महत्या करने को मजबूर हैं.
भारत मे 1995 से लेकर आज तक 2,70,000 किसान आत्महत्या कर चुके हैं.
यानी भारत में हर दिन 30 किसान खुदकुशी कर रहे हैं !
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी झूठ बोल रहे हैं. किसानों की कोई आय नही बढ़ेगी. आय केवल उद्योगपतियों की बढ़ने वाली है. जो किसानों से उपज खरीदकर अपने मॉल में बेचेंगे या अपने बड़े बड़े गोदामों में जमाकर काला बाज़ारी करेंगे !
#KRANTI_KUMAR_WASHERMAN