देश की संपत्ति बेचने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी ने कैबिनेट कमेटी ऑफ डिसइन्वेस्टमेंट का गठन किया था !
सरकारी संपत्ति और कंपनियों को बेचने का मंत्री अरुण शौरी को बनाया. जिसका एक ही कार्य था देश की संपत्ति को औने पौने दामों में उद्योगपतियों को बेचना !
उद्योगपति जिस सरकारी कंपनी को खरीदना चाहते उसकी निशानदेही करते. उस सरकारी इकाई को अटल बिहारी सरकार आर्थिक नुकसान पहुंचा कर घाटे में कर देती. घाटा दिखाकर उस सरकारी कंपनी को संबंधित उद्योगपति को बेच देते !
देश बेचने के लिए गठित डिसइनवेस्टमेंट कमिटी में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी चेयरमैन थे. लालकृष्ण आडवाणी, अरुण शौरी, जसवंत सिंह और यशवंत सिन्हा जैसे बड़े नेता कमिटी में मेंबर थे. सभी मिलकर बैठक करते और दो तीन घंटे में देश की संपत्ति निजी हाथों बेच देते !
सन 2002 में जोधपुर का फाइव स्टार सरकारी होटल लक्ष्मी राज विलास, जिसकी कीमत 252 करोड़ थी. डिसइन्वेस्टमेंट कमिटी के मेम्बरों ने इस होटल को 7 करोड़ में एक निजी कंपनी को बेच दिया गया !
245 करोड़ का नुकसान. 245 करोड़ का भ्रष्टाचार. सरकार ने उद्योगपति को 245 करोड़ रुपए का फायदा पहुंचाया. 245 करोड़ रुपए डिसइन्वेस्टमेंट कमिटी के मेंबरों की संपत्ति नीलाम कर सूत समेत वसूल की जाए !
इन में से एक आरोपी स्वर्ग सिधार गया है. क्या आप लोगों को उम्मीद है बाकी आरोपियों को पृथ्वी पर सज़ा मिलेगी ?
#KRANTI_KUMAR_WASHERMAN