आर्य ब्राह्मण मूलनिवासी है ऐसी झूठी खबरें फैलाने के कारण डेक्कन कॉलेज के पूर्व वाइस चांसलर मिस्टर वसंत शिंदे को भारत मुक्ति मोर्चा ने लीगल नोटिस भेजा। शिंदे के पीछे जो मालिक है वह भी अब जल्द ही पकड़ में आएगा। राखीगढ़ी डीएनए अनुसंधान रिपोर्ट पर झूठी खबरें फैलाने के कारण भारत के तमाम मीडिया पर भारत मुक्ति मोर्चा कानूनन कार्रवाई करेगा। शिंदे को भेजी गई लीगल नोटिस को सोशल मीडिया में इसलिए फैलाया जा रहा है ताकि भारत के मीडिया ने शिंदे का नाम लेकर जो गलत खबरो के द्वारा जो कचरा फैलाया गया है उसे साफ किया जा सके। मिस्टर वसंत शिंदे को जो कानूनी नोटिस भेजा गया है उस अंग्रेजी ड्रॉप का हिंदी अनुवाद इस तरह है :-
प्रति,
मिस्टर वसंत शिंदे,
पुरातत्व विभाग,
डेक्कन कॉलेज पोस्ट ग्रजुएट एंड रिसर्च इंसटीट्यूट,पुणे.
यरवदा,पुणे.
महाराष्ट्र-411006
विषय:- Cell इस जर्नल में "हड़प्पा के जिनोम में स्टेपे पैस्टोरालिस्ट या ईरानी कृषकोके अनुवांशिकता का अभाव"इस नाम से जो संशोधन प्रकाशित किया गया है उसके बारे में मीडिया में ( इलेक्ट्रॉनिक और न्यूज मीडिया) आपने जो गलत जानकारी देकर लोगों में भ्रम की स्थिति निर्माण करने के गलत हेतु से जो जानकारी दी है इससे आपके ऊपर क्रिमिनल गुनाह क्यों न दर्ज किया जाए ? इसके संदर्भ के नोटिस को लिखित जवाब देने के बारे में ।
(Cell इस जर्नल में आपके संशोधन रिपोर्ट में जो जानकारी दी गई है उसके विपरीत आपने मीडिया में जानकारी देकर भारत की जनता को
गुमराह किया गया है इस के संदर्भ में)
महोदय,
मेरे क्लाइंट भारत मुक्ति मोर्चा इनका पंजीकृत कार्यालय हाउस नंबर एस 2, गली नंबर 2, जोशी रोड के पास, फैज रोड, करोल बाग, नवी दिल्ली- 11 0005 , इन्होंने दी हुई सूचना के आधार पर और निर्देश पर और उनके शिकायत के अनुसार उन्होंने ऐसा कहां है की cell जर्नल में आपके और आपके टीम का जो जो रिसर्च रिपोर्ट प्रकाशित हुआ है उसके संदर्भ में आपने मीडिया में गलत और झूठी जानकारी दी है जो भारतीय दंड संहिता और इंडियन सिविल तथा क्रिमिनल लॉ के अंतर्गत दंडनीय है, इसलिए हम आपको यह नोटिस दे रहे हैं और इस संदर्भ में आपसे जवाब मांग रहे हैं।
1) टाईम्स ऑफ इंडिया के मैसूर संस्करण में 7 सितंबर 2019 के दिन के अंक में आपने पत्रकारों को गलत जानकारी दी है जिसके आधार पर उक्त न्यूज़पेपर में अत्यंत गलत खबर छपकर आई है। इसलिए मेरे क्लाइंट को आश्चर्य लगा और वे इस कारण आहत हुए। इस तरह के अखबार में झूठी जानकारी फैलने के पहले आपने एक सभ्य व्यक्ति के नाते उस पर कानूनन कार्रवाई के कदम उठाने चाहिए थे। आपने ऐसा नहीं किया।
2) टाईम्स ऑफ इंडिया के मैसूर संस्करण के 7 सितंबर 2019 के अखबार में आपके नाम से जो खबर प्रकाशित हुई उसमें तत्व था अत्यंत झूठी ऐसी जानकारी प्रचार में लाई गई इसलिए आपको क्रिमिनल लॉ ऑफ़ इंडिया के अंतर्गत दोषी माना जा सकता है।
3) उक्त अखबार में जो खबर छप कराई है वह केवल वास्तविक घटनाओं का गलत ढंग से रिपोर्टिंग ही नहीं करता है बल्कि भारतीय लोगों को इतिहास के बारे में जो स्पष्ट और पारदर्शी ध्यान देना चाहिए इसके संबंध में भी यह खबर दोस्त हेतु से उनके दिमाग को दूषित करती है। तकरार कर्ता को , यह जानकारी थी कि आपके इस संशोधन के और जानकारी के विरोध में ऐसे अखबार में जो छापा जा रहा था परंतु सत्यता क्या है यह बताने का और गलत जानकारी आपके नाम से छापी जा रही है और उसे दुरुस्त करने का आपकी ओर से कोई प्रयास नहीं किया गया।
4) मीडिया में इस संदर्भ के खबरों की संक्षिप्त जानकारी इस तरह है:-
A) टाईम्स ऑफ इंडिया के मैसूर संस्करण के 7 सितंबर 2019 के दिन cell जर्नल में आपके प्रकाशित हुए रिपोर्ट पर आपने जो विपरीत तथा गलत जानकारी दी है वह इस तरह है:-
" इस आश्चर्यजनक संशोधन से आर्य आक्रमण का सिद्धांत खारिज हो जाता है। मोहनजोदड़ो के ऊंचाई के ऊपर के हिस्से में जो प्राचीन कंकाल मिला है वह बाढ़ में मरे हुए लोगों के हैं। और सर मॉर्टिमर व्हीलर इन्होंने बताया उस तरह आर्यो के द्वारा किए गए नरसंहार से लोगो मर गए ऐसे वे कंकाल नहीं है।
आर्य अक्रमण का यह सिद्धांत झूठे आधार पर खड़ा है"ऐसा डेक्कन विश्वविद्यालय के पूर्व वाइस चांसलर और एस नए संशोधन के लेखक में से एक डॉ वसंत शिंदे इन्होंने कहा है।"
B) दैनिक लोकमत, जालना संस्करण प्रथम पृष्ठ पर दिनांक 11 अक्टूबर 2019 और टाइम्स ऑफ इंडिया , ऑनलाइन संस्करण के 10 अक्टूबर 2019 के दिन के अंक में " सिंधु संस्कृति के आर्यों का चेहरा साइंसटो ने आधुनिक 3 डी तंत्रज्ञान से बनाया।" ऐसी जानकारी देने वाली खबर उपरोक्त दो अखबारों में छपकर आई है।
C) दैनिक भास्कर भोपाल संस्करण, दिनांक 11 अक्टूबर 2019, के अखबार में भी इसी तरह झूठी जानकारी की खबर आपके नाम से छपकर अायी है।
D) ABP न्यूज चैनल के ऑन लाइन ऎडिशन में लिंक एड्रेस - https://abpmajha.abplive.in/videos/arya-are-indians-special-research- 696580/amp. के इस लिंक पर आपने इंटरव्यू के दर मैन गलत जानकारी दी है।
E) आपके रिपोर्ट में (प्राचीन हड़प्पा जीनोम में स्टेपे पैस्टोरालिस्ट या ईरानी कृषकोके अनुवांशिकता मिलती नहीं है।)और यू ट्यूब पर https://www.youtube.com/watch?v=IMfVN97XQlM, इस लिंक पर दिए हुए इंटरव्यू में आपने कहीं पर भी यह निचोड़ नहीं बताया है कि आर्य आक्रमण का सिद्धांत यह उपरोक्त संशोधन से सिद्ध हुआ है या नहीं। आर्य भारत में नहीं आए थे ऐसा आपने निचोड़ बिल्कुल नहीं निकाला है। तथा यू ट्यूब पर हड़प्पा अनुवांशिकता की खोज और भिन्न भिन्न कथा और खोज या वीडियो इंट्रविव में निम्न लिंक एड्रेस जो - https://m.youtube.com/watch?feature=youtu.be&v=vSbnXv3O3co इस लिंक पर 17 बजे दिखाया गया है। उसमें आपने कोई भी सबूत ना देते हुए कहां है कि संस्कृत सभी भाषाओं की मूल भाषा है। आगे आपने यह भी कहा है की मैं जो यह कह रहा हूं यह केवल एक संभावना है और संभावना कुछ भी हो सकती है। ( मगर आपने जो कहा है वह केवल संभावना ही होगी इसकी कोई गारंटी नहीं है!) संभावना के संबंध में लॉ कॉम या लॉ डिक्शनरी में और ब्लैक्स लॉ डिक्शनरी में इस तरह अर्थ बताया है :-" संभावना अर्थात ऐसी अनिश्चित चीज जो संभव हो सकती है। व्यक्तिगत या वास्तविक संपत्ति के बारे में संभव मगर निश्चित नहीं ऐसी स्थिति) आपने जो कहां है उसके लिए अगर अपने मजबूत सबूत नहीं दिए है ( संस्कृत भाषा के उगम के संबंध में) , वह सिविल और क्रिमिनल लॉ का उल्लंघन करने का कृत्य होगा और इतिहास का विकृतिकरण करने का भी वह दुष्ट कार्य होगा।
F) टाईम्स ऑफ इंडिया के मैसूर एडिशन में दिनांक 7 सितंबर 2019 में एक गलत और तथ्य हीन खबर आपके नाम से प्रकाशित की गई है। वह मूल मुद्दे से भटक कर तीसरे लोगों के द्वारा उपरोक्त खबर प्रकाशित की गई है और वह आपके अनुमति से दी गई है जिससे मेरे क्लाइंट के और भारत के लोगो को आहत पहुंचाने के बुरे इरादे से ही प्रकाशित की गई है। यह खबर भारत के लोगों की गलत और खराब छवि बना सकती है। वैसे उस खबर ने किया है। और वह खबर भारत के वास्तविक इतिहास को दूर भटका कर ले गई है। इस प्रकार के झूठे खबर प्रचार में लाने हेतु आपका कुछ आर्थिक और अन्य लाभ आपको दिया गया होगा ऐसा कहां गया तो गलत नहीं होगा। और यह हम अंदाज़ लगाकर बोल रहे हैं।
5) प्राचीन वास्तु संरक्षण कानून 1904 यह कहता है कि ,"इस कानून के सेक्शन 2 में प्राचीन वास्तु का अर्थ यह बताया गया है की प्राचीन वास्तु यानी वह इमारत, खड़ा किया गया स्थल, घूमट, या ऐसी जगह, या गुफाएं, या पत्थर के शिल्प या शिलालेख, शीला शिल्प जो कि ऐतिहासिक होकर पुरातत्वविय या कलाकृति के दृष्टि से अमूल्य है और जो 100 वर्ष से कम समय का नहीं है उसमें 1) प्राचीन स्मारकों के टूटे हुए अवशेष, 2) प्राचीन स्मारकों का स्थल, 3) उस स्मारक के जगह के नजदीक जगह जहां पर उसकी सीमा या अन्य प्रकार का सुरक्षा विषयक काम किया गया है और 4) उस प्राचीन स्मारक को देखने हेतु जाने वाला हमरास्ताइत्यादि।
6) इतिहास यह मनुष्य का महत्वपूर्ण आधार परंतु इतिहास के बारे में गलत खबरें छपवा कर मेरे क्लाइंट का और उसके साथ साथ भारत के लोगों की अपरिमित हानी हुई है। भारत के संविधान में पहले से ही इस बात को आगाह करते हुए कहा है इसके लिए भारतीय संविधान के आर्टिकल 49 यह स्टेट पॉलिसी के डायरेक्टिव प्रिंसिपल में लिया गया है। ( संविधान का भाग 4) उसके मुताबिक प्राचीन स्मारक या स्थल या वास्तु या ऐतिहासिक और कलाकृति पूर्ण शिल्प इनका संरक्षण करने की जिम्मेदारी राज्य पर सौंपी गई है। और यह कानून संसद ने पारित किया है।जानकारी के लिए आर्टिकल 49 नीचे उध्दृत कर रहे है :-
"कलम 49 :- राष्ट्रीय दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थल, वास्तु,स्मारक, ऐतिहासिक और कलाकृति युक्त शिल्प यह संसद ने घोषित किए गए कानून के अंतर्गत सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी राज्य की होगी। और इनका विकृति करण, उन्हें नुकसान देना, उन्हें एक जगह से हटाकर फेंक देना यह कानूनन प्रतिबंधित रहेगा अपराध माना जाएगा। "
#महत्वपूर्ण आर्य ब्राह्मण मूल निवासी है ऐसी झूठी खबरें फैलाने के कारण डेक्कन कॉलेज के पूर्व वाइस चांसलर मिस्टर वसंत...
Posted by Waman Meshram on Sunday, 13 October 2019
7) इस नोटिस द्वारा आपको सूचित किया जाता है कि , यह नोटिस मिलते ही मेरे क्लाइंट की लिखित रूप में कोई भी पूर्व शर्त न रखकर त्वरित माफी मांग लेनी है और वृत्तपत्र में, मीडिया में सही और सच्ची जानकारी छपवाकर लाना है। और वह यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया पर भी देना है। और मीडिया में जिस तत्परता से आपने उपरोक्त गलत जानकारी दी उसी तत्परता से सही जानकारी भी दे। (सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार के दिन न्यायमूर्ति सीके प्रसाद और वी जी गौड़ा इनके बेंच मार्फत ऐसा कहा है कि अखबार में क्या छपाना है और क्या नहीं यह संपादक तय करता है। और इसलिए उपरोक्त प्रकार की गलत खबर संपादक के अनुमति के अलावा छापी नहीं जा सकती, इसलिए संपादक को भी कार्रवाई से मुक्त नहीं किया जा सकता।) इसके आगे भारत तथा भारत के बाहर और विश्व में आपके संशोधन के बारे में आपने जो गलत जानकारी न दे । अगर ऐसा करने का आपने त्यागा नहीं तो आप के खिलाफ उचित सिविल और क्रिमिनल ऐसे दोनों तरह की कार्रवाई करने के लिए मैं समय के साथ बंदा हूं। और इस प्रक्रिया में जो कुछ आर्थिक नुकसान होगा वह आपके पास से वसूल किया जाएगा। इस तरह की जो कुछ भविष्य में कार्रवाई होगी उसके लिए केवल मात्र आपको ही जिम्मेदार माना जाएगा और उसके परिणाम के लिए भी आप ही को जिम्मेदार माना जाएगा। (मेरे क्लाइंट के उपरोक्त पते पर आप आपका जवाब जल्द से जल्द भेजें।)
● इस नोटिस की एक प्रतिलिपि हमारे कार्यालय में सुरक्षित की गई है।
● टाईम्स ऑफ इंडिया ,मैसूर संस्करण, दिनांक 7 सितंबर 2019, दैनिक भास्कर भोपाल संस्करण दिनांक 11 अक्टूबर 2019, दैनिक लोकमत जालना संस्करण मराठी दिनांक 11 अक्टूबर 2019 इन अखबारों के खबरों की एक एक प्रत इस नोटिस के साथ छोड़ दी गई है।
आपका -
थोरात एंड एसोशियशन
वकील ।
द्वारा
प्रो.विलास खरात,राष्ट्रीय महासचिव,
भारत मुक्ति मोर्चा,नवी दिल्ली।
इस लेख का मराठी अनुवाद 14 अक्टूबर 2019 को सुबह प्रशारित किया गया जायेगा.