नासिक में भारतीय विद्यार्थी मोर्चा और राष्ट्रीय आदिवासी छात्र संघ का 4था संयुक्त राष्ट्रीय अधिवेशन.
‘‘राजसत्ता पर काबिज होने के लिए ब्राह्मणों द्वारा दंगा, फसाद, लव जिहाद, मॉब लिंचिंग, बम ब्लास्ट आदि करवाए जाते हैं. यह शुद्ध रूप से धार्मिक मामला नहीं है, बल्कि राजनीतिक मामला है. दंगा, फसाद, लव जिहाद, मॉब लिंचिंग, बम ब्लास्ट का मामला मुसलमानों का भी मामला नहीं है, बल्कि एससी, एससी, ओबीसी को हिन्दू बनाने का मामला है’’नासिक : हिन्दू धर्म, हिन्दू धर्म नहीं है, बल्कि यह ब्राह्मणों का मूलधर्म ब्राह्मण धर्म है. हिन्दू धर्म तब प्रचलन में आया जब इंग्लैंड में प्रौढ़ मताधिकार लागू हुआ और उस समय अंग्रेजों का ही राज भारत में भी था. इसलिए ब्राह्मणों को डर हो गया कि अगर अंग्रेज भारत में प्रौढ़ मताधिकार को लागू कर दिया तो भारत से ब्राह्मणों का तेस्तानाबूद हो जायेगा. क्योंकि, भारत में जिन मूलनिवासी बहुजनों को वोट के अधिकार से वंचित रखा था, उन लोगों को वोट देने का अधिकार मिल जायेगा.
अगर मूलनिवासियों को वोट देने का अधिकार मिल गया तो मूलनिवासी केवल मूलनिवासी को वोट देगा तो हम ब्राह्मणों को राज खत्म हो जायेगा. चूंकि, ब्राह्मणों की संख्या इतनी कम है कि ब्राह्मण गांव के सरपंच का सदस्य भी नहीं बन सकता है. इसलिए अल्पसंख्य ब्राह्मणों ने अपनी संख्या छुपाने और बहुसंख्य बनने के लिए एससी, एसटी और ओबीसी को हिन्दू कहना शुरू कर दिया.
हिन्दू कहने से पहले एससी, एसटी और ओबीसी को नहीं पूछा कि हम तुम्हें हिन्दू कहने जा रहे हैं. यह बात बामसेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वामन मेश्राम ने रविवार 01 सितम्बर 2019 को महाराष्ट्र के नासिक में भारतीय विद्यार्थी मोर्चा और राष्ट्रीय आदिवासी छात्र संघ के 4थे संयुक्त राष्ट्रीय अधिवेशन को संबोधित करते हुए कही.
वामन मेश्राम ने कहा गुलाम अपने भविष्य का फैसला नहीं कर सकते हैं. क्योंकि जो गुलामों का मालिक होता है वह गुलामों से पूछे बगैर उनके भविष्य का फैसला करते हैं. इससे क्या हुआ? जो ब्राह्मण अल्पसंख्य थे वे हिन्दू के नाम पर बहुसंख्य हो गये और हिन्दू के नाम पर वोट लेकर देश का शासक बन गये. नतीजा क्या हुआ? जो बहुसंख्य मूलनिवासी थे वे गुलाम हो गये. यानी हिन्दू शब्द बहुजनों को गुलाम बनाने का षड्यंत्र मात्र है.
उन्होंने कहा हिन्दू शब्द को भारत में स्थापित करने का सबसे बड़ा काम फसाद ने किया. देश में 65 हजार फसाद हुए, यह मायनॉरिटी कमीशन का रिपोर्ट है. इस फसाद में लाखों मुसलमान और एससी, एसटी के लोग मारे गये. जितना ज्यादा फसाद होगा उतना ही ज्यादा एससी, एसटी और ओबीसी हिन्दू बन जाता है. फसाद में क्या होता है? फसाद में प्रतिक्रिया निर्माण होती है और प्रतिक्रिया से लोग हिन्दू और मुसलमान बनते हैं.
उन्होंने कहा कांग्रेस 60 साल में 65 हजार से ज्यादा फसाद करवाये. जब कांग्रेस की सरकार थी और फसाद होते थे तो कांग्रेस कहती थी कि हिन्दू परिषद, बजरंग दल के लोग फसाद में शामिल हैं. अबे! सरकार तुम्हारी है, सीबीआई तुम्हारी है, प्रशासन तुम्हारा, मिलिट्री तुम्हारी है. जब सब कुछ तुम्हारा है तो उसे पकड़ते क्यों नहीं हो?
काग्रेस इसलिए नहीं पकड़ती थी कि जब फसाद करने वालों को पकड़ लिया जायेगा तो फिर अगली बार फसाद करवाने के लिए लोगों को कहा से लाया जायेगा? इसलिए फसाद करने वालों को नहीं पकड़ा जाता था, बल्कि फसाद करने वालों को अगली बार फसाद करने के लिए छूट दी जाती थी.
उन्होंने कहा असल में फसाद हिन्दू मुसलमान में नहीं होता है, बल्कि एससी, एसटी, ओबीसी और मुसलमान में होता है. जब सुबह अखबार में खबर आती है कि हिन्दू मुसलमान में फसाद तो एससी, एसटी और ओबीसी को लगता है अरे! हम हिन्दू हैं? फसाद होने के बाद इनको लगता है कि हम हिन्दू हैं. क्योंकि, एससी, एसटी और ओबीसी के लोग परमानेंट हिन्दू नहीं हैं, प्रतिक्रिया में हिन्दू है. प्रतिक्रिया दोनों तरफ निर्माण होती है. प्रतिक्रिया से मुसलमानों को लगता है कि एससी, एसटी और ओबीसी के लोग हिन्दू हैं और एससी, एसटी और ओबीसी के लोगों को लगता है कि हम हिन्दू हैं.
वामन मेश्राम ने कहा अब ब्राह्मणों द्वारा एससी, एसटी और ओबीसी के लोगों को मुसलमानों और क्रिश्चनों के विरोध में मॉब लिंचिंग में इस्तेमाल कर रहे हैं. उन्होंने फिजिकली सबूत के आधार पर कहा कि केवल गुजरात में एससी के साथ मॉब लिंचिंग हुआ. लेकिन, मॉब लिंचिंग की ज्यादातर घटनाएं केवल मुसलमान, सिख और क्रिश्चनों के साथ होता है.
मॉब लिंचिंग जानबूझकर प्लान बनाकर किया जाता है. क्योंकि, मॉब लिंचिंग में लोग जब किसी को मारते-पीटते या जान से मारते हैं तो उसमें से एक आदमी वीडियो बनाता है और सोशल मीडिया पर डाल देता है. जबकि, हत्या करने वाला सारे सबूत छिपाता है कि कहीं पकड़ा न जाय. लेकिन, मॉब लिंचिंग करने वाले लोग वीडियो बनाते हैं और सोशल मीडिया पर डालते हैं.
इससे क्या होता है? हिन्दू बनाम मुसलमान का मुद्दा खड़ा हो जाता है. इससे एससी, एसटी और ओबीसी के लोग हिन्दू हो जाते हैं, वहीं जब शांति रहता है तो जो फसाद में हिन्दू बना है वह शांति में एससी, एसटी और ओबीसी बन जाता है और जब एससी, एसटी और ओबीसी के लोग हिन्दू बन जाते हैं तो उनके एससी, एसटी और ओबीसी के अधिकार खत्म हो जाते हैं.