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पिडीत परिवार को मुआवजा मिला था या नहि?

जैसा कि आप जानते हैं कि "जय भीम" मूवी रियल स्टोरी बेस्ड है उसके वकील चन्द्रू ने आजीवन असंख्य केस लड़े थे। फ़िल्म के अंत में भले ही कोर्ट ने सरकार से कहा कि सेंगीनी को उचित मुआवजा मिले और पक्का घर लेकिन सेंगीनी की  हालत आज भी वैसी ही थी जैसी कि फ़िल्म में दिखाई दी थी। वैसा ही टूटा मकान और वैसी ही दिनचर्या।

यह मुआवजा मिला या नहीं और आगे क्या हुआ इसकी जानकारी तो नहीं लेकिन फ़िल्म बनाने वाले एक्टर सूर्या ने उस महिला को खोजकर 15 लाख रुपये और पक्का मकान देने का वादा किया है। हालांकि सूर्या ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री को पहले ही एक करोड़ दिया था मगर वह शिक्षा के कल्याण हेतु था।

राजकन्नू की पत्नी पार्वती (सेंगीनी) नाम की आदिवासी महिला आज भी ज़िंदा है। काफी विकट परिस्थितियों का सामना कर रही है। अब वो काफी उम्रदराज हो चली है। अन्य किरदारों के भी परिवार होंगे और उनकी हालत कैसी होगी नहीं मालूम तथा अन्य भी लोग हैं जो हमारे इर्द गिर्द हैं उनका क्या?

सूर्या फिल्म की तरह वास्तविक जीवन में भी रियल हीरो हैं। मुझे उम्मीद है ये फिल्म समाज में एक बहुत बड़ा बदलाव लाएगी। इस फिल्म के आने के बाद पूरी दुनियां की नजर तमिलनाडू के इरूला आदिवासियों की बदतर स्थिति को बदलने की तरफ केंद्रित हो गई है। स्टालिन सरकार भी सजगता से काम कर रही है।

फिल्में समाज का आईना है और आईने से धूल हटाई जाय तो सब साफ, साफ दिखाई पड़ता है। हमें मिलकर सब दाग मिटाने होंगे। हमारे आसपास हजारों कहानियां, किरदार ऐसे निकल आएंगे। उनकी उस हालत के जिम्मेदार सत्तासीन हैं उनतक आवाज पहुंचने हेतु कविता, लेखन और ऐसी फिल्में सब जरूरी है। 

#आर_पी_विशाल।

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