ईरान शब्द का मूल अर्थ है "आर्यों की भूमि" !
बौद्ध भूमि में ना आर्यों का आगमन हुआ, ना ही आर्यों का आक्रमण हुआ,
दरअसल बुद्ध की भूमि पर आर्यों की घुसपैठ हुई.
ब्राह्मण गंगाधर तिलक ने लिखा आर्य उत्तरी ध्रुव से आए. लेकिन आरएसएस के दूसरे सर संघचालक गोलवलकर ने अपनी पुस्तक "वी ऑर अवर नेशनहुड डिफाइंड" में तिलक की थिअरी को पलटते हुए लिखते है आर्य भारत में बाहर से नही आएं बल्कि भारत से विश्व के दूसरे भागों स्थानों पर गए !
अस्सी के दशक में पारसी मूल के भारतीय लेखक पोरस होमी हवेवाला की किताब भी आर्यों को विदेशी बताकर उनका महिमा मंडन करते हुए बताती है कैसे उत्तरी ध्रुव की ठंड का मुकाबला करते हुए जंगली बार्बरियन्स से लड़ते हुए आर्यन्स दक्षिण की ओर पलायन करते हुए रूस जर्मनी ईरान में फ़ैल गए, और यहीं से भारत में इनका आगमन हुआ ?
आगमन हुआ ? ऐसा लग रहा जैसे पूरा देश सिंधु नदी पर फूल माला लेकर स्वागत के लिए खड़ा था बड़ा हास्यास्पद लगता है ?
लेकिन अब आरएसएस इतिहास को बदलना चाहता है. हम कहते हैं आर्य बाहर से आए, ब्राह्मण भी येही कहते थे लेकिन हम कहते है आर्य सिंधु सभ्यता के बाद पंजाब में बसे लेकिन ब्राह्मण कहता है सिंधु सभ्यता वैदिक सभ्यता है और आर्य 5,000 हज़ार वर्ष पूर्व भारत में आए.
मोदी सरकार आने के बाद फासीवादियों द्वारा इतिहास का विकृतीकरण होने लगा है, अब आरएसएस तिलक की थिअरी से किनारा कर गोलवलकर की थिअरी को पढ़ाना चाहते हैं आर्य भारत के मूलनिवासी हैं !
आर्य देवताओं की शौर्य गाथा झुठे इतिहास के काल्पानिक उपलब्धियों पर टिकी है, इसी कारण से सच्चा इतिहास पढ़ने पढ़ाने से आर्य डरते हैं, हर बार इतिहास पर लेफ्ट राइट तो कभी यू टर्न मारते हैं !
चलते चलते... ईरान का मध्य भाग पूरी तरह ग्रामीण क्षेत्र था, इसी इलाके में सुखा पड़ा नहाने धोने को पानी नही था उस समय पंजाब पर ईरानी सम्राट डारियस दी ग्रेट का शासन था, आर्य पंजाब में बस गए फिर धीरे धीरे घुसपैठ कर पूरे भारत में फ़ैल गए.
✍Kranti Kumar Repost Written On 8 September 2019.
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