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मंडल विरोधी आंदोलन... - रविंद्र राणे


देश कि राजधानी दिल्ली में कैनॉट पैलेस सबसे हाईप्रोफाईल इलाका है. वहाँ पर ‘राजीव चौक’ नाम का मेट्रो स्टेशन है. राजीव चौक से आप दिल्ली के किसी भी कोने तक मेट्रो से जा सकते है. बहोत ही कम लोग यह जानते है कि राजीव चौक यह नाम पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम से नहीं है.

आज से ठिक २९ साल पहले आज ही के दिन(१९ सितंबर १९९०) मंडल कमिशन का विरोध करने के लिए ‘राजीव गोस्वामी’ नामक एक युवक ने अपने आपको उसी चौक में जला दिया था. अस्पताल में भर्ती करने तक राजीव गोस्वामी कि जान चली गई थी. आरक्षण का विरोध और गोस्वामी टाईटल से लगता है कि ये अर्नब गोस्वामी के आसामी ब्राम्हण जाति से होगा, लेकिन ऐसा नहीं है. मंडल का विरोध करने के लिए अपने आपको जलानेवाला वह युवक उत्तर प्रदेश के ‘Most Backward Class’ के जाति में से था. ५२% ओबीसीयों के संवैधानिक अधिकारों का विरोध करनेवाले राजीव गोस्वामी के नाम से वहाँ एक चौक बनाया और दिल्ली के सबसे महत्वपूर्ण मेट्रो स्टेशन को उसका नाम दिया, इससे आप शासक जाति कि बदमाशीयां समझ सकते है.

जब तक ओबीसी खुद अपने अधिकारों के विरोध में आंदोलन करता रहेगा तब तक इस देश में वह कभी भी हुक्मरान नहीं बन सकता.

यह संकेत एक विद्ोही की सुबह सुबह पढ़ रहा था, और फील्ड में आज भी परिस्थिति बदली हुई नजर नहीं आती!

आज सुबह रायपुर में बामसेफ कार्यालय में एक लड़की पत्रिका नामक अखबार की ऑफर के साथ इस्तेहार करने आई. उसने जबरन अपना अखबार ऑफिस में लगा दिया.
जब हमारे सीनियर कार्यकर्ताने उसे पूछा,
" आपका नाम क्या है ? "
उसने कहा," मैं यादव हूँ !"
कार्यकर्ता ने फिर से सवाल किया," इस पत्रिका में यादव के अधिकारों की कोई बात आती हैं ?" चुप्पी साधे बैठी थी !
तो फिर से कार्यकर्ताओं ने दैनिक भास्कर का पहला पेज बताया, देखों इसमें छत्तीसगढ़ की पांच नगर निगम में महापौर सामान्य वर्ग से होंगे.
वह अखबार वाली लड़की बोली, "हम यादव सामान्य वर्ग से आते है !"
कार्यकर्ता ने उसे फिर से पूछा,"आप कहाँ तक पढ़ी हो ? यादव कौनसे वर्ग में आते हैं ?"
उसने कहा," मैं एम. ए. किया हूँ . यादव ओबीसी में आते और ओबीसी सामान्य वर्ग में आते हैं. SC, ST के लोग ही आरक्षण लेते है.
उसके अगाध ज्ञान पर हमने सिर पकड़ लिया उसे कहा हम ओबीसी के लोग सामान्य वर्ग में नहीं आते.हम ब्राह्मण-क्षत्रिय-वैश्य नहीं है !

उस लड़की को कार्यकर्ता ने कानपुर (उत्तर प्रदेश) से प्रकाशित होने वाली यादव पत्रिका बताई और कहा कभी समय मिला तो इस पत्रिका वाले को वार्षिक फीस भर देना. यादव हो तो यादव पत्रिका तो पढ़ लेना. यह अपना अज्ञान दूर हो जायेगा....

यह हमारे ओबीसी लोगों का मंडल आयोग लागू होने के 27 साल के बाद भी अगाध ज्ञान ? जिस राज्य का मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ओबीसी है और ओबीसी के समेत सभी SC, ST का आरक्षण बढ़ाया. वहां यैसी परिस्थिति है.कभी कभी लगता है, इन ओबीसी लोगों की हालत पेशवाई में गले में मटका और पिछवाड़े में झाड़ू लगाने के बाद ही अक्ल आयेंगी. ब्राह्मणवाद का अनपेड पुलिस कभी हुक्मरान नहीं बन सकता !

रविंद्र राणे
सह प्रभारी, छत्तीसगढ़
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